पल्लव
Sunday, October 5, 2014
{ ७९० } {Aug 2014}
यही कदीम रिवाज है इस मोहब्बत की हाट का
यहाँ हुस्न हुआ है मालामाल आशिक हुए गरीब।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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