Saturday, October 4, 2014

{ ७८४ } {July 2014}






देख कर वो मुझको इथलाती मुस्काती है
वो मुझे मय के जाम पर जाम पिलाती है
मयखाना जिससे हुआ करता है रौशन
साकी की आँखों में जन्नत नज़र आती है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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