पल्लव
Friday, October 3, 2014
{ ७८० } {June 2014}
जी रहा हूँ या कि मर रहा हूँ
फ़ुस्न के हाथों सँवर रहा हूँ
कहने वाले क्या नहीं कहते
इश्क दामन में भर रहा हूँ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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