पल्लव
Thursday, October 2, 2014
{ ७७५ } {June 2014}
कठिन डगर में हमसफ़र होते हुए भी
अकेले हैं हम साथ रहबर होते हुए भी
उनके इकरार आज भी आ जाते हैं याद
नजरों में बेहयाई के मँजर होते हुए भी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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