पल्लव
Monday, October 6, 2014
{ ७९४ ) {Aug 2014}
मेरे. ज़ख्मों. को तुम. अब. और. हरा. मत. करना
अब किसी और से कभी, प्यार.-.वफ़ा मत करना
दम. तोड़ रहीं हमारी ज़िन्दगी की उखड़ी हुई साँसें
आखिरी वक्त में दिल तोड़ने की खता मत करना।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment