पल्लव
Monday, October 6, 2014
{ ७९२ } {Aug 2014}
वो तुम्हारा हाथ हो या कि हवाओं की आहटॆं
मेरे दरवाजे पर अब कोई दस्तक नहीं होती।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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