पल्लव
Friday, October 3, 2014
{ ७८३ } {July 2014}
गमगीन हो दिल, गमजदा सूरत नहीं रखो
दिल में हो तमन्ना, कोई हसरत नहिं रखो
पराये गम. को भी. अपना. ही गम समझो
सेवा-बरदारी में कोई सियासत नहीं रखो।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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