पल्लव
Friday, October 3, 2014
{ ७८२ } {June 2014}
ये मुस्कुराहटें ही तो मेरे चेहरे की बनी हैं नकाब
गौर से देखो बड़ा गहरा है दर्दे-दिल का समन्दर।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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