पल्लव
Wednesday, October 8, 2014
{ ८०१ } {Sept 2014}
वीरानियों के इश्क में दिल इतना रो चुका
कि शहनाइयों की गूँज अब भाती नहीं है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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