पल्लव
Saturday, October 25, 2014
{ ८१४ } {Oct 2014}
दर-बदर ही रहे कोई अपना नहीं
वीरान आँखों मे कोई सपना नहीं
कुछ एहसास आँखों में जगा करते
पर दुनिया से कोई उरहना नहीं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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