पल्लव
Friday, October 10, 2014
{ ८०७ } {Oct 2014}
ये पूनम की चाँदनी से नहाई रातें, ये टिमटिमाते हुए सितारे
उसपे नागिन सी लहराती तेरी ज़ुल्फ़े मेरा चैन लिये जाती है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment