पल्लव
Friday, October 3, 2014
{ ७७९ } {June 2014}
तेरे बैगैर होगी ये ज़िन्दगी बसर नहीं
हर तरफ़ तुझे ढ़ूँढ़ा पर तेरी खबर नहीं
रोता है दिल मेरा और कहता जाता है
जैसा इधर हुआ है हाल वैसा उधर नहीं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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