पल्लव
Thursday, October 2, 2014
{ ७६९ } {May 2014}
ये कौन मन-उपवन से चुपके-चुपके गा रहा है
प्यार से तपते कपोल मन्द-मन्द सहला रहा है
मधुर. छुअन, मोहक. अँग - रँग, कोमल. अँग
प्रीति. चँदन. सुवासित. गँध. से महका. रहा है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment