पल्लव
Friday, October 10, 2014
{ ८०५ } {Sept 2014}
ज़िंदगी में गम मिले मुकद्दर से ज्यादा
फ़ूल चुभे हैं दिल में नश्तर से ज्यादा
ढ़ोते रहे बोझ खामोशी का जीस्त भर
घाव दे रहे हैं रिश्ते खंजर से ज्यादा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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