Tuesday, December 25, 2012

{ ४४२ } {Dec 2012}






अपने मन की बातों को मन ही मन में कहता हूँ
दर्द से बन गया रिश्ता अपना, आहों में बहता हूँ
भीगी आँखें, बोझिल पलकें, बन गये मेरे श्रँगार
भावों में उम्र कट गयी इससे सब कुछ सहता हूँ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment