पल्लव
Monday, December 24, 2012
{ ४४० } {Dec 2012}
यह तकदीर नही मन का अंतर है
हर गुल फ़ूला पर महक नहीं पाया
काँटों की चुभन का दर्द सहा जिसने
बस वो ही गुल खिल कर मुस्काया।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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