Monday, December 24, 2012

{ ४३१ } {Dec 2012}






कैसे कह दूँ कि कुसूर अँधेरों का है
इन उजालों ने भी दर-दर भटकाया
जब ख्वाबों से दिल बहलाना चाहा
तब आँखों ने नींदों से धोखा खाया।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment