पल्लव
Sunday, December 23, 2012
{ ४२४ } {Dec 2012}
तूफ़ान दर्द के उठे मन की घटाओं से
जकडे हुए हैं चाहतों की श्रृंखलाओं से
गैरों के सामने स्वयं को भूल हम गये
बिखरी ज़िन्दगी बढती कामनाओं से।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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