पल्लव
Saturday, December 22, 2012
{ ४१७ } {Dec 2012}
कोई नही जो दिल की धडकन मन की आशा समझे
मैने पर्वत जिनको बनाया, मुझको वो माशा समझे
हर महफ़िल में खुशियाँ दी है मैंने इस दुनिया को
पर मुझको दुनिया वाले केवल एक तमाशा समझे।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment