पल्लव
Tuesday, December 25, 2012
{ ४४९ } {Dec 2012}
कभी हँसती है तो कभी रुलाती है दुनिया
राह में फ़ूल कभी काँटे बिछाती है दुनिया
न बन कमजोर, सीना तान के चले चलो
बुजदिलों को हर वक्त सताती है दुनिया।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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