पल्लव
Tuesday, December 25, 2012
{ ४५१ } {Dec 2012}
सुख क्षण-भँगुर, कष्ट अमर है निर्झर सा जीवन दाता है
धूमिल प्रतिभा को चमका कर जीवन में निखार लाता है
ठाठ-बाट, सुख-सुविधा, थक कर पथ में रुक-रुक जाते
पर संघर्ष, कष्ट, साहस ही कदम मिला मँजिल पाता है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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