Monday, December 24, 2012

{ ४३७ } {Dec 2012}





हवाओं को मन-सुमन लुभाने लगा
स्वप्नों का चमन गँध लुटाने लगा
जैसे मिला हो रात का प्यारा चँद्रमा
यूँ हुस्न पर इश्क का रँग छाने लगा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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