पल्लव
Monday, December 24, 2012
{ ४३९ } {Dec 2012}
जब-जब मन के पृष्ठ खुलेंगें
कोई सजल सा गीत गढेगा
साँस-स्वाँस विरागिन होगी
हर आँसू को मनमीत पढेगा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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