पल्लव
Sunday, June 3, 2012
{ ३०० } {June 2012}
घुँघराले गेसुओं के बल मस्ताने
किसी का रुखसार है या मैखाने
ये कौन आया यही सोंच रहा हूँ
ये कटीले नयन हैं या मए-पैमाने।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९९ } {June 2012}
जिसे अपना समझा वही गैर निकला
जिसे गैर समझा उस ने ही संभाला
यहाँ कद्र जज्बात की कुछ भी नहीं है
जमाने का ये दस्तूर देखा निराला।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९८ ) {June 2012}
कैसे गुजर रहे हैं ज़िन्दगी के दिन
ये मैं तुम्हे बता भी नही सकता
मुझको तेरी जुदाई का एहसास है
पर तेरे पास आ भी नही सकता।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९७ } {June 2012}
धडकते दिलों की सब आहटे चुप हो गईं
साँसों की सरगोशियाँ हवाओं में खो गईं
दूर मुझसे हो गये अब हाथ वो खुश्बू भरे
ख्वाहिशे-वस्ल करवट बदल कर सो गई।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९६ } {June 2012}
मेरी आहों में अभी असर बाकी है
ज़िन्दगी में भी कुछ पहर बाकी है
उम्मीदों के चिराग न बुझाओ अभी
दूर है मंजिल भी और सहर बाकी है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९५ } {June 2012}
ज़िन्दगी में बहार आ जाये
प्यार और निखार आ जाये
कोई ऐसा गीत सुनाओ तुम
आँसुओं को करार आ जाये।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९४ } {June 2012}
याद बहुत आयेंगें हम तुमको कभी अकेले में
पर खो चुके होंगे हम गमे-दुनिया के मेले में
अकेले थे इस जहाँ में अकेले हैं अकेले रहेंगें
जैसे चाँद भी तनहा सितारों के इस मेले में।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{ २९३ } {June 2012}
तनहा डगर देख - देख कर
बावरी आँख भर गयी होगी
प्यार बे-आसरा हुआ होगा
आस बेमौत मर गयी होगी।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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