राह जीवन की कठिन खारजारों से भरी है
दुख-दर्द की डालियाँ भी अभी तक हरी हैं
बन के लौ दिये की तमस से मैं लड रहा हूँ
अँधड-आँधियाँ-अँधेरों की लगी सरसरी है।।
मेरे अधरों की पगडंडी, कभी चरण हँसी के चूम न पाई
मेरी मादकता मादक बनकर अपने मद में झूम न पाई
फ़ट जात उर मुखर वेदना से जब आँसू का उपहार मिले
श्वासों की उर्मि शैय्या पर जब न मुझको प्यार मिले।।
दरमियान अपने फ़ासलो को हम कम करेंगें
कुछ आगे तुम भी बढो कुछ आगे हम बढेंगें
जगह बनाओ रूठे हुए दिल में प्यार की, फ़िर
फ़ूल चाहतों के दो दिलों के दरमियान खिलेंगें।।
वफ़ा के बदले में अक्सर ये सिले मिलते हैं
चोट लगती है और दिल टूट कर बिखरते है
हर नये घाव का मरहम तलाशने के खातिर
तमाम घावों को भुला के हम वफ़ा करते हैं।।
आँख के कोरों से जब भी तुमने मुझे निहारा
कर दिया मदमस्त मुझे, मदिरा ऐसी पिलाई
आज अपनी तीखी नजरों में भरो ऐसी मदिरा
हम पियें उसको और पडॊ तुम ही तुम दिखाई।।
थे कभी तुम राह के साथी, एक थी मँजिल हमारी
दिल की धडकनें एक थी, एक थी महफ़िल हमारी
आसमाँ के चाँद-तारे, धरती की नदियाँ और सागर
दे रहे हैं देखो वो गवाही कि एक है सहिल हमारी।।
अब आ चुका वक्त सर पर तूफ़ान उठाना है
स्वेद-बिन्दु का सूरज भू-तल पर चमकाना है
टकराओ काल से, टूटे अहं निरंकुश बादल का
उठो जवानों तुम्हे भारत का इतिहास बनाना है।।
भावनायें, खूबसूरत फ़ूल भी हो सकती हैं
भावनायें, बदसूरत खार भी हो सकती हैं
चाहे खुश्बू की मानिन्द जियें मुस्कुरायें
चाहे खार की मानिन्द चुभे औ’ मुरझायें।।
यह केवल मेरी व्यथा नही जो मैं गाता हूँ
जग का रुदन छुपा है मुझमे वो दिखलाता हूँ
वन-गिरि-पर्वत का नहीं, मैं धरती का हूँ वासी
मानुष जीवन की परतों में उलझा जाता हूँ।।
कुछ तो हो अब ऐसा कि जीने की चाह निकले
कहीं से तो बे-पनाह मोहब्बत की राह निकले
आते जो करीब फ़िर बदल जाती निगाह उनकी
अब कोई तो हो ऐसा जो मोहब्बत ख्वाह निकले।।