पल्लव
Monday, June 29, 2015
{ ९१४ } {April 2015}
गमों में मुस्कुराती खुशियों में खुश नहीं होती
अजीब मंजर दिखलाया करती है ये ज़िन्दगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{९१३} {April 2015}
कल तक उसपर भी था एतबार बहुत
आज खुद से भी मैं होशियार रहता हूँ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{९१२} {April 2015}
हँस-हँस के जी रहा हूँ मगर जरा मेरे दिल से पूछो
कैसे ढ़ो रहा हूँ वो गमों-सितम जो अपनों ने दिये हैं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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