फ़ासलों के इस दौर में बढ रही हैं अब दूरियाँ
वरक भी न भर सके दिल में बसी वो खाइयाँ
संगदिल हैं सभी यहाँ और खून सर्द बर्फ़ सा
प्यासी रह गईं हैं दिल की बेचैन उदासियाँ।।
जाने कहाँ गया वो जालिम तन्हाई का जहर पिला
हमदम की पा कर एक झलक मन का तार हिला
कैसे बीत गये दिन बचपन के सपने बुनते-बुनते
दिल के तपते सहरा में खुश यादों का फ़ूल खिला।।
तुम बिन सब सूना-सूना, लफ़्ज़ भी हैं बिखरे-बिखरे
लाओ कोई प्यार का मरहम, जख्म भी हैं उभरे-उभरे
तेरे प्यार की मधुर धुन को, हम कब से तरस रहे हैं
मधुर गीत बना उनको, जो पल साथ-साथ हैं गुजरे।।
मँजिलें भी ले रहीं हैं अब गजब का इम्तिहाँ
बेल-बूटे-शजर भी न छोडे रास्ते के दर्मियाँ
दिलों के राज भी अब कैद सी महसूस करते
खनक रही हैं इस लिये लबों की खामोंशियाँ।।
कर दे कुर्बान अपनी खुशियाँ किसी की खातिर
ख्वाहिश करे अपनी खुशियाँ किसी की खातिर
जहाँ में ऐसे हमसफ़र अब बहुत कम मिलते हैं
कयामत तक दे जाये जो साथ किसी की खातिर।।