Friday, December 30, 2011

{ १२१ } {Dec 2011}






दिखला के अपना हुस्न मुझे
तूने ऐसे माहौल में उतारा है
वस्ल की उम्मीद जगाये बैठा
हाय दिल अबतक बेसहारा है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १२० } {Dec 2011}







बेबसी का पयाम तो लेता जा
मेरी गमगीन शाम तो लेता जा
ओ सुबह के रहनुमा जरा ठहर
आँसुओं का सलाम तो लेता जा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११९ } {Dec 2011}






कहीं राह में तुम मिल ही जाओगे
हर चेहरे में तुमको तलाश कर लेंगे
दर्द को दर्द से मिटा रहे हैं हम अभी
ज़िन्दगी मे मौत को तलाश कर लेंगे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११८ } {Dec 2011}







दिल के पास किसी अपने का न होना
कभी किसी को खुश रहने नही है देता
जमाने को दिखाते हम हँसता चेहरा
जमाना क्या जाने अपना दिल है रोता।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Thursday, December 22, 2011

{ ११७ } {Dec 2011}





ज़िन्दगी में समेट लूँ तुम्हारी खुशबू
तुम्हारी आँख की झील में समा जाऊँ
एक-दो पल और भी निहार लूँ तुमको
क्या पता फ़िर तुमको कब मिल पाऊँ ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११६ } {Dec 2011}







दूर तक है बेबसी अँधेरे की
हर तरफ़ रात की उदासी है
माटी का यह दिया जिसमे
रोशनी तो फ़कत जरा सी है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११५ } {Dec 2011}







लफ़्ज़ ज़ुबाँ पर हैं आते-आते
जाने खों रुक-रुक कर ठहरे
मौन मधुर स्वर किसे सुनाऊँ
जब रिश्ते इसके तुमसे गहरे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११४ } {Dec 2011}







मेरी तन्हाई के हर क्षण में
तुमने ही मुझे दिया सहारा
तुमने ही सब साहस बाँधा
जब सबने किया किनारा ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११३ } {Dec 2011}







हमें यह यकीं है आओगे जरूर तुम
पर हमसे न तुम मुलाकात करोगे
तोड न सकोगे दुनिया की दीवारें
बस नयनो से तुम बरसात करोगे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११२ } {Dec 2011}






मैने वफ़ा ही की तुमसे
तुमने क्यों बेवफ़ाई दी
मैने दिल दिया तुमको
तुमने क्यों जुदाई दी ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १११ } {Dec 2011}






जमाने का दस्तूर हमे सहना पडेगा
ऐसे ही जीना है ऐसे ही मरना पडेगा
हाय न कर हाय से कुछ नही बनता
नासूर ही सही, दर्द हमे सहना पडेगा ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ११० } {Dec 2011}







एक ताजा सुर्ख गुलाब हो जैसे
चाँदनी से भीगी शबाब हो जैसे
ऐ मेरे हुस्न ! तुम तो लगती हो
जाम में आस्मानी शराब हो जैसे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०९ } {Dec 2011}






मदिरालय है आग, मदिरा है आग, साकी भी आग
लब से लगाओ जामो-साकी को सुलग उठेगी आग ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


{ १०८ } {Dec 2011}





जाने किसका लगाव शामिल है
जाने किसका अभाव शामिल है
मेरे शेरो-सुखन मे जाने किसके
आँसुओं का प्रभाव शामिल है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Wednesday, December 21, 2011

{ १०७ } {Dec 2011}






मन अशांत, जग अशांत, अशांत है ब्रह्मांड
जित देखो उत ही हो रहे शर्मनाक से कांड
मन का धीरज डोल गया होता नही बर्दाश्त
रे मनुज कुछ सुकर्म करो हो शांत ब्रह्माण्ड ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०६ } {Dec 2011}






हर किसी के दिल मे आग नफ़रत की
प्यार हुआ घर-बेघर क्या किया जाये
दुनिया मे हाँथों ने अब फ़ूल के बदले
उठा लिया है पत्थर क्या किया जाये ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०५ } {Dec 2011}





एक रंगीन गम सफ़र के लिये
और मायूसियाँ नज़र के लिये
एक मुस्कान चन्द लमहों की
दे गई दर्द सारी उमर के लिये ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Friday, December 9, 2011

{ १०४ } {Dec 2011}







आए है हम मिलने आपसे फ़ूलों का हार लेकर
होगा दिल को सुकूँ आपको फ़ूलों का हार देकर
ठुकरा न देना, खुदा ने दिल शीशे का बनाया है
टूटा जो दिल तो जाऊंगा कहाँ ये टूटा हार लेकर ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०३ } {Dec 2011}






तुमको जब-जब भी देखता हूँ
मन का हर तार झनझनाता है
मुझको लगता है शायद तुमसे
मेरा पिछले जनम का नाता है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Tuesday, December 6, 2011

{ १०२ } {Dec 2011}







ज़िन्दगी में नादानियाँ होती रहेंगी
हमदम से बेईमानियाँ होती रहेंगी
न होगी वीरानी, थामो बढकर हाथ
ज़िन्दगी में रवानियाँ होती रहेंगी ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०१ } {Dec 2011}






ज़िन्दगी प्यार से कटे जरूरी है
किसी का मिले सहारा जरूरी है
हम जिसे चाहते हैं तहे-दिल से
उसे भी तो प्यार मिले जरूरी है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ १०० } {Dec 2011}







ज़िन्दगी जब हमसे रूठी है
अपने भी रूठ जायें तो क्या
हम तनहा हैं तनहा ही रहेंगे
जमाना भी रूठ जाये तो क्या ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ९९ } {Dec 2011}






फ़ागुनी भोर की तरह मुखडा
भाल में रोशनी चमकती है
जब भी देखूँ तुम्हारे होठों को
ज़िन्दगी की सुरा छलकती है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Friday, December 2, 2011

{ ९८ } {Dec 2011}






तुम कभी कूल तक नही पहुँचे
कुमकुमी धूल तक नहीं पहुँचे
फ़रेबों को रखा है साथ इसलिये
प्यार के फ़ूल तक नही पहुँचे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ९७ } {Dec 2011}







रूप की और रंग की ही रवानी थी
प्यार के गीत थे और कहानी थी
अब जो खंडहर कभी किला था वो
आज बुढापा है, कभी जवानी थी ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ९६ } {Dec 2011}






यदि दर्द का हमें एहसास होगा
प्यार का तभी आभास होगा
दुख-दर्द उठाने के बाद ही तो
सुख और हास परिहास होगा ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ९५ } {Dec 2011}





काँटे कभी न चुभते हैं फ़ूलों को
फ़ूलों को कब काँटों से दर्द हुआ
ये भरम तो अपने मन का ही है
जो फ़ूलों से भी हमको दर्द हुआ ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


{ ९४ } {Dec 2011}






जहाँ मुखौटेधारी सत्ता का सिंहासन पा जाते हैं
धरती के सौदागर बन कर माँ का दूध लजाते हैं
जहाँ कटारी अपनों पर चलती है दुश्मन पलते है
वहाँ न पलता विश्वास सत्ताधारी सबको छलते है ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ९३ } {Dec 2011}






प्यार देता हूँ मै प्यार लेता हूँ
गमों को अपने दुलार लेता हूँ
जिनमे रस नही है उनको भी
एहतियातन पुकार लेता हूँ ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल