Friday, September 30, 2022

{९५३}






वो कहीं आस-पास मौजूद है 
हू-ब-हू ये परछाईं उसी की है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Thursday, September 29, 2022

{९५२}





किसी ने हमें कभी हमसफ़र नहीं माना
ये और बात है साथ-साथ रहे हम सभी। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Wednesday, September 28, 2022

{९५१}





वक्त ने ग़म दिया है
वक्त ही मरहम बनेगा
फ़िर गिले-शिकवों में
क्यों वक्त जाया करें।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९५०}





मुझको पता है कि मुझको मयस्सर नहीं खुशियाँ,
इसीलिए मैंने खुद को सुपुर्दे-शबे-ग़म कर दिया। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९४९}





तेरी खुद्दारीयों पर हमको रहेगा फ़क्र तमाम उम्र 
भूल न पाएंगें तेरी शाही मे फकीराना अन्दाज़ को। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९४८}





ब्रह्म सत्य है केवल, बाकी जग सब मिथ्या पाया,
ब्रह्म-स्वरूप जीव को हर पल नचा रही है माया। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Tuesday, September 27, 2022

{९४७ }





हम अपने इस अन्दाज़ में बहुत मस्त हैं 
जरूरी नहीं कि सबको पसन्द या जाएं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Monday, September 26, 2022

{९४६ }





हँसी, मजाक, अदब, महफिलें, सुखनगोई 
उदासियों के बदन के यही उम्दा लिबास हैं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९४५}





मुल्क से मोहब्बत के लुत्फ का क्या कहिए 
बीतेगा हर लम्हा उसके परचम की बंदगी में। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९४४ }





अब तो शाम घिर आई आँखें भी धुँधला गईं 
सितमगर और कब तक मैं तेरा रास्ता देखूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९४३}





छू के उसको ये हवाएं इधर आई हैं 
हू-ब-हू इनमें उसी की तो महक है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Saturday, September 24, 2022

{९४२}





बिखर गया हुस्न, निखर गया स्याह रँग 
आईना कबतक झूठा नूर दिखलाएगा। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{९४१ }





कुछ रिश्ते जोड़े थे, हमने, तुमने, सबने
प्यार बहुत बाँटे थे, हमने, तुमने, सबने 
फिर भी खेतों में उगी साँपों की फसलें 
बीज ये कब बोए थे, हमने, तुमने, सबने।। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल

{९४०}



कोशिशें तमाम हर शख्स की बेकार ही हुई 
फिर एक बार हवा से चिराग की हार ही हुई। 

..  गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९३९ }

 


Thursday, September 22, 2022

{९३८}





जीवन का यह ढब अच्छा है 
जो कुछ भी है सब अच्छा है 
हँसते-हँसते काटो ये जीवन 
रोना-धोना कब अच्छा है।। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Wednesday, September 21, 2022

{९३७ }





तलाश जिनको हमेशा बुजुर्ग करते रहे 
ज़िन्दगी के जाने कौन से वो खजाने थे। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Tuesday, September 20, 2022

{९३६}





मुझे हासिल हुआ सब कुछ जमाने से 
मुझको जमाने से कोई शिकवा नहीं। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९३५ }





कुछ इस तरह से बिखरा हुआ हूँ 
कह नहीं सकता कौन हूँ क्या हूँ। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Monday, September 19, 2022

{९३४ }




पढ़ सके कोई तो हमें पढ़ ले 
हम एक मुक्कमल किताब हैं। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९३३ }




यादों का भरोसा क्या
कब आगोश में ले लें 
यादों की किस्मत में 
आराम नहीं होता।। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Sunday, September 18, 2022

{९३२ }




लाख रहे शहरों में फिर भी अंदर से देहाती हूँ 
दिल भी थोड़ा बच्चा है औ' थोड़ा जज्बाती हूँ। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९३१ }





वक्त करता हर बार कुछ फैसले 
वक्त को हर बार देखा जाएगा। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९३०}




जमाने में खुद को बिखरने मत दो 
यादें खलल डालती ही हैं सुकून में। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Saturday, September 17, 2022

{९२९ }




शब्द ढूँढता रहा मुझे शिल्प के लिए 
मैं स्वप्न में डूब कल्पनाएं बांधता रहा। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९२८}




लौट आते हैं घोंसलों में परिंदे भी शाम तक 
आसमान पर कोई भी ठहरा नही करता। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Friday, September 16, 2022

{९२७}




हुई राहे-जीस्त मुश्किल तो क्या 
हर कदम पर कायम हौसला रख। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९२६}




ज़िंदगी में कुछ तो मिला चन्द उलझने ही सही 
कोई न जान पाया कि ज़िन्दगी के परे क्या है॥ 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

Thursday, September 15, 2022

{९२५}




सुकून की तलाश है सब को 
एक हलचल सी है जहान में। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९२४ }




कोई थमा दे वही पुराना किताबों का बस्ता 
बचपन के वो दिन कितने ही खुशनुमा थे। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९२३ }




तूने कभी करीब से खुद को नहीं देखा 
देख जरा ये ज़िंदगी कितनी हसीन है। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल  

{९२२}




गम न कर ओ मुसाफिर शहर छूट जाने का 
अगले शहर मे जरूर तेरा आशियाना होगा। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल 

{९२१}




यादों मे रह जाते हैं वो जिन्दा
जिन लम्हों को वक्त निगलता है। 

.. गोपाल कृष्ण शुक्ल