रँजिश दुश्मनी से इस दुनिया को है प्यार बहुत
अफ़सोस ये कि बस एक प्यार से ही प्यार नही
बाजारे-हुस्न तो मिलेगा हमें हर जगह पर यहाँ
लेकिन ये भी सच है कि इश्क का बाजार नही।।
तुम रहे समझते जीवन के हर पल को प्रिय अपना
हर दिल को मगर भाता रहा कब अधरों का हँसना
साँसों से सुख का नाता केवल क्या इतना सा ही है
जैसे हर रात नैन का चुम्बन लेने आतुर हो सपना।।
ज़िन्दगी की डगर पर चाहे फ़ैले हों अँधेरे
दुख के बादलों के आवरण कितने भी घेरें
मुस्कान की किरण से तुम रोशनी फ़ैलाओ
दूर तक आयेंगें नजर फ़िर खुशियों के सबेरे।।