Sunday, December 29, 2013

{ ७१७ } {Dec 2013}





गम में हरगिज न आँसू बहाया करो
वक्त कीमती है यूँ ही न जाया करो
ये दुनिया है यहाँ कोई नहीं किसी का
प्यार के गीत गाओ मुस्कुराया करो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१६ } {Dec 2013}





दुनिया को हमने समझ लिया चन्द दिनों में
मरघट है नजदीक पर खुद को समझ न पाये।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१५ } {Dec 2013}





क्या करें अपना मुकद्दर यही है शायद
अपना साया ही हमसे खफ़ा हो गया।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१४ } {Dec 2013}





मुझ भूले पथिक को सहारा मिला
ज़िन्दगी मिल गयी किनारा मिला
मँजिले-इश्क की दूरियाँ हुईं खत्म
हृदय से हृदय मेरा-तुम्हारा मिला।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१३ } {Dec 2013}





तुम्हारे प्यार का जोगी अब बियाबाँ में भटक रहा
होश गुम्म जोश ठण्डा, अचरज समाया आँखों में।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१२ } {Dec 2013}





झुटपुटा सँध्या का मन हुआ सहज मगन
संकेतों में बात चली मिला मन आलिंगन
मँद मधु बयार चली बाहों में गुँथ गईं बाहें
तन पर छलकी स्वेद बूँदें साँसें हुईं चँदन।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७११ } {Dec 2013}





माथे पर तिरछी रेखायें अन्तर में नाद घनेरे हैं
अनसुलझे हैं प्रश्न मन में द्वन्दो ने डाले डेरे हैं
मधुवन में काँटे ही काँटे अँग-अँग छिला करता
अपना कहने वाले अपने हो गये अब तेरे-मेरे है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ७१० } {Dec 2013}





यादों की गहरी कालिमा से घिर गई चाँदनी रात की हर दिशा
बेबसी के आँसुओं ने गुमसुम दिल को आँसुओं में डुबो दिया।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल