Saturday, May 25, 2013

{ ५७९ } {May 2013}





टकरा के जिन से चूर हुए हैं आइने कई
उस दिल पर राज करो तो कोई बात है।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Thursday, May 23, 2013

{ ५७८ } {May 2013}





वस्ल की सुबह आई, गम की शामें गुजरी, हिज्र की रातें बीत गईं
हुस्न के शहर मे इश्क का एहसास हुआ तन्हाई की बातें रीत गईं।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Wednesday, May 22, 2013

{ ५७७ } {May 2013}




झूम कर चला करिये इश्क की पथरीली डगर पर
आसान राहों पर कभी इश्क मुकम्मल नहीं होता।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ५७६ } {May 2013}





दर्द की दवा लेकर ही निकला करो रहगुजर पर
न जाने कहाँ मिल जायें फ़ूलों से ज़ख्म लगाने वाले।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ५७५ } {May 2013}





क्या कर पायेंगें वो लोग हंगामा
जिनके मुँह में जुबान तक नहीं
छाती पर दुश्मन चढता आ रहा
पर खतरे का गुमान तक नहीं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

Tuesday, May 21, 2013

{ ५७४ } {May 2013}





वो बस एक पल को ही आये मन-आँगन में
खुश्बू-ए-गुल महक उठे उजडे हुए उपवन में
दिल मचल उठा, सोए सपने साकार हो गये
नैनों से नैन मिले सिहरन उठी तन-मन में।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ५७३ } {May 2013}





रुखसार पर चमकती तेरी सुर्खरू आँखें
दिल में बसी प्यास को और जगाती हैं।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ५७२ } {May 2013}





दुनिया को क्या खबर कि क्या पा गया हूँ मैं
कातिलाना हुस्न से मौत की सजा पा गया हूँ मैं।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल