हुए कहाँ-कहाँ ज़ख्म दिखाने की जरूरत क्या
दिल में बसे हुए दर्द बतलाने की जरूरत क्या
मोहब्बत मोहताज नही है किसी बन्धन की
किसी को एहसास दिलाने की जरूरत क्या।।
जुदाई में मिलन की तिश्नगी महसूस होती है
हर पल हर क्षण तेरी ही कमी महसूस होती है
आज गर तूझे छूना भी चाहूँ तो छू नहीं सकता
पत्थर की दीवार बीच में खड़ी महसूस होती है।।
बीता वक्त, गुजरा जमाना अच्छा लगता है
यादों के संग दिल बहलाना अच्छा लगता है
बीती जाती घडियाँ दम तोड़ रही उम्मीदें भी
फ़िर लौटेगा वक्त कहलाना अच्छा लगता है।।