Wednesday, October 17, 2012

{ ३८५ } {Oct 2012}






औरों की बात छोडिये यहाँ अपने ही अपने नही हुए
क्या नाम दूँ उन्हे जो सबके हुए, पर अपने नही हुए
शायद मेरे बुरे वक्त का ही सुबूत है जो दे रहे हैं वो
हैरत यही कसौटी पर परखते रहे पर अपने नही हुए।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ३८४ } {Oct 2012}





दूरियों का कभी कोई गम न करना
अपना जज्बा कभी कम न करना
दूर करने की कोशिश लोग करेंगें
पर रिश्तों पर कभी वहम न करना।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

{ ३८३ } {Oct 2012}





राहे-हयात की तारीकियाँ मिटाने को
हम इश्क के गीत गुनगुनाते जायेंगें
मोहब्बत में करेंगे जान तक कुर्बान
वफ़ा-ए-गुल से इश्के-चमन सजायेंगें।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल