Thursday, January 5, 2012

{ १३३ } {Jan 2012}






रूप के ही वास्ते हम प्यार को गवाँ बैठे
क्या कहूँ बेवजह बदनामियाँ कमा बैठे
मेरे आवार उसूलों की ये सिफ़त देखो
बेवफ़ाओं से ज़िन्दगी मे कर वफ़ा बैठे ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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