Friday, July 3, 2015

{ ९२० } {April 2015}





अब कहीं और कोई शरारत हो न जाये
मौला को इसाँ से शिकायत हो न जाये
छोड़ दे अपनी जालिमाना हरकतें अब
कहीं ये धरती ही नदारत हो न जाये।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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