Sunday, October 23, 2022

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तेरी तिरछी निगाहों का निशाना गजब का 
लगा इश्क का खंजर सीधे दिल में जा कर। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 








ये  मैखाना  ही  वो  जगह  है  यारों 
जहाँ सूकूँ के हजार पल मयस्सर हैं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 









तलाशे-जीस्त कहाँ ले के आ गई रब ही जाने 
ख्वाहिश थी कि फकत ज़िंदगी को जी जाएं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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