Tuesday, January 22, 2013

{ ४६८ } {Jan 2013}





देखो रो रहे श्वेत कपोत डाल-डाल पर
धैर्य की पूँजी लुटाई, किस कँगाल पर
सत्ता-पिपासुओं के पल्लवित पाप से
सिसक रही माँ भारती अपने हाल पर।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment