Friday, January 11, 2013

{ ४५७ } {Jan 2013}





काँटों के भी अब जख्म होने लगे हैं
आदमी के हाथ कटीले होने लगे हैं
कोई शख्स जीता नजर नही आता
लोग अब ज़िन्दगी को ढोने लगे हैं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

1 comment:

  1. वाह आदरणीय, बहुत गज़ब की बात कही है आपने वाह..।

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