Monday, June 24, 2013

{ ६०३ } {June 2013}





आज स्वयं को अहम छलने लगा है
होम करते-करते हाथ जलने लगा है
प्रीत-प्यार की बेल कैसे फ़ूले-फ़लेगी
जब स्वार्थ ही हरतरफ़ पलने लगा है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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