Thursday, February 27, 2014

{ ७३४ } {Feb 2014}





ज़ीस्त से बहुत कुछ चाहा था पर मिल न सका
इसलिये ज़िन्दगी को रोज मारता-जिलाता हूँ
अपनों की नजर में इसलिये बहुत बुरा भी हूँ
क्यों कि अपने ऐब मैं किसी से नहीं छुपाता हूँ।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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