Saturday, September 27, 2014

{ ७५८ } {April 2014}





बो कर नफ़रतें, नफ़रत मिटा रहे हैं
जन्नत को जैसे जहन्नुम बना रहे है
रोशनी को कैद कर अपनी कफ़स में
कह रहे जमीं से वो अँधेरा हटा रहे हैं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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