Monday, November 12, 2012

{ ४०० } {Nov 2012}





आँखों में आँसू लेकर रातें गुजारते हैं
सपनों में अब भी तुमकोपुकारते हैं
कभी सोचूँ तुमको पा लेंगें एक दिन
कभी अपनी भूलों को खुद सुधारते हैं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


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