Sunday, November 4, 2012

{ ३९१ } {Nov 2012}





इरादे थे क्या-क्या और क्या कर चले
हम खुद से खुद ही को जुदा कर चले
रह न गयी जिनसे रहबरी की उम्मीद
उसी बेवफ़ा से ही हम वफ़ा कर चले।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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