Sunday, February 17, 2013

{ ४७४ } {Feb 2013}






राग की इस रागिनी ने
साज छेडा जब तुम्हारा
झँकृत हुआ सारा बदन
मन है हरपल तुम्हारा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment