Sunday, March 17, 2013

{ ५०५ } {March 2013}






अब तुम्हारे पास आना छोड दूँगा
इन आँसुओं को बहाना छोड दूँगा
रँग मेरे जब सजे, जग ने मिटाये
कल्पनाओं को सजाना छोड दूँगा।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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