Saturday, January 31, 2015

{ ८६६ } {Jan 2015}





आज सँवरे तो कल बिखर जाये
खुशबुओं की तरह निखर जाये
दिल की बस इतनी ही दास्तान है
कभी दरिया चढ़े कभी उतर जाये।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment