Monday, April 13, 2015

{ ९११ } {April 2015}





जिस दिल में लिखी थीं सच्चाइयाँ
उस दिल को दर्द ही दर्द मिलते रहे।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment