Thursday, September 27, 2012

{ ३६५ } {Sept 2012}






उसकी मुस्कान आखिर क्या करूँ मैं
जिसका रूप नकली है, रँग खोटा है
महल तो उसका बहुत बडा लेकिन
दिल तो उस बेवफ़ा का बहुत छोटा है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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