Sunday, September 30, 2012

{ ३७५ } {Sept 2012}






वफ़ा के बदले में अक्सर ये सिले मिलते हैं
चोट लगती है और दिल टूट कर बिखरते है
हर नये घाव का मरहम तलाशने के खातिर
तमाम घावों को भुला के हम वफ़ा करते हैं।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment